Friday 6 November 2020

मेरी सिगरेट छोड़ने की कहानी


मेरा और सिगरेट का साथ 16 साल पुराना था और आज मुझे उसे छोड़े हुए पूरे 2 साल हो गए, तब जाकर ये लिखने की हिम्मत कर पा रहा हूँ।
साल 2018 सिंतबर में बाइक से लद्दाख जाने का सपना पूरा करना था, जिसके लिए पिछले कुछ महीनों से तैयारी कर रहा था। शरीर पर भी मेहनत कर रहा था ताकि ज्यादा ऊँचाई पर मेरी सांस न फुले। मैं एक चेन स्मोकर था जो रोज 2 पैकेट सिगरेट पीता था और कभी उससे भी ज्यादा।
लद्दाख जाने से ठीक एक महीना पहले मैंने कुछ दोस्तों से यूं ही बिना सोचे बोल दिया था कि मैं अगले महीने सिगरेट छोड़ रहा हूँ। मैं खुद सिगरेट से बहुत ज्यादा प्यार करता और खुद भी खुद पर यकीन नही करता था कि मैं सिगरेट छोड़ पाउँगा।
हालांकि लद्दाख जाना मेरा सपना था पर मुझे लद्दाख के बारे में कुछ भी ज्यादा नही पता था और न ही मेरी आदत है कि कही जाने से पहले उसकी ज्यादा खोज करूं। पर मुझे ये मालूम था कि इस यात्रा में खारदुंग ला नाम का एक दर्रा आता है जो दुनिया की सबसे ऊंची मोटर रोड है और जिसकी ऊंचाई लगभग 17500 फ़ीट है। मैंने फैसला किया कि ये ही वो सबसे अच्छी जगह होगी जहाँ मैं अपनी ये आदत छोड़ कर वापस आ सकता हूँ। पर मैंने खुद के साथ भी एक शर्त लगा ली कि अगर मैंने खारदुंग ला में जाकर एक सिगरेट पी ली और मेरी सांस नही फूली तो मैं हमेशा के लिए सिगरेट छोड़ दूंगा।
ये मुश्किल चुनौती थी पर मैंने स्वीकार की और खुद को ऐसा बनाने के लिए जाने से एक महीना पहले से कड़ी मेहनत की । मैं रोज 14-15 किलोमीटर चल रहा था और व्यायाम भी कर रहा था।
आखिर वो समय आ ही गया जब मुझे अपने सपनो की यात्रा पर जाना था बाइक लेकर। मेरे साथी थे रविन्द्र रौतेला। हम दोनों एक ही बाइक में बैठकर निकल गए। पहली चुनौती थी इतने लंबे सफर में अकेले बाइक चलाना, पर मेरे लिए ये बड़ी बात नही थी क्योंकि उत्तराखंड में पहले भी बहुत बार अकेले बाइक चुका था। हालांकि ये इतना भी आसान नही होने वाला था।
कुछ दिन के बाद आखिर वो दिन आ ही गया। हम खारदुंग ला में थे और बाइक बर्फ से जमी सड़क पर किनारे खड़ी कर के वहाँ की सबसे ऊंची जगह पर चढ़ रहे थे जोकि कुछ सौ मीटर की ऊंचाई पर थी। मैं कई लोगो को देख रहा था जिनकी वहाँ खड़े खड़े ही सांस फूल रही थी। सबसे ऊँचाई पर पहुँच कर मैंने सबसे पहले एक सिगरेट जलाई और बड़े आराम से उसे पूरी खत्म की, मेरी सांस नही फूली। फिर मैंने कुछ तस्वीरें खींची और अपनी ज़िंदगी की अंतिम सिगरेट निकाली और उसे बहुत इत्मिनान के साथ पिया। मैं खुश था कि मैंने खुद को दी चुनौती पूरी कर ली है।
वो एक ऐसा पल था जिसे मै शब्दो मे बता नही पाउँगा। हाँ मैं खुश था।
आज दो साल पूरे हो गए है और मेरा कभी भी मन नही किया कि मैं दोबारा सिगरेट पियूँ। हालांकि मैं सपने में कई बार ऐसा कर चुका हूँ।
'खुद पर यकीन हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है'

Tuesday 24 March 2020

कुछ मेरे बारे में

मेरा नाम अमित साह है। जन्म नैनीताल में हुआ और पढ़ाई भी नैनीताल के ही CRST Inter college और Dsb कैंपस में हुई। B.Com और M.A. इतिहास से क़िया। 3 भाई बहनों में सबसे बड़ा हूँ। जुलाई 2013 में एक दिन मेरी मोबाइल फ़ोन से खिंची फ़ोटो इत्तेफाक से अखबार में छप गयी, तब से फोटोग्राफी शुरू हुई।
मेरी खिंची हुई फ़ोटो को पिछले दिनों ही UN के द्वारा मनाए गए  विश्व पर्वत दिवस में मौके पर  दुनिया भर में पोस्टर के पर लगाया गया। फोटोग्राफी शुरू करने के 3 महीने बाद ही उत्तराखंड की वित्त मंत्री के हाथों से मुझे दिसंबर में हल्द्वानी में प्रथम पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा भी पिछले 6 सालों में कई छोटे बड़े पुरुस्कार मिले। मेरी तस्वीरे अभी तक 200 से अधिक बार अखबारों और मैगज़ीन में छप चुकी है। और कई सारी वेबसाइट्स में भी।
    मुझे बाइक चलाना पसंद है। बाइक से उत्तराखंड और नार्थ इंडिया घूम चुका हूँ। मुझे ट्रैकिंग का भी शौक है, उत्तराखंड के कई सारे ट्रेक्स कर चुका हूं। इसके अलावा हाल ही में अभिनय भी शुरू किया है और 2 शार्ट फिल्मो में अभिनय भी किया ।
   मुझे लगता है कि फोटोग्राफी कैमरा नही करता बल्कि इंसान करता है इसलिए आपका नज़रिया सबसे ज्यादा मायने रखता है, जोकि हर इंसान का अलग अलग होता है। 

Tuesday 19 September 2017

Valley of Flowers

Valley of Flowers
फूलों की घाटी

उत्तराखंड के चमोली जिले मे स्थित गोविंदघाट से मात्र 13 kms पैदल चलकर इस स्वर्ग जैसे स्थान पर पहुँचा जा सकता हैं। अपने फूलो के लिए दुनिया भर मे प्रसिद्व इस जगह को मैंने बिना फूलो के भी बहुत ही ज्यादा खूबसूरत पाया। घांघरिया नाम की जगह से थोड़ा सा आगे forest की check post पर टिकट लेकर आप इस जगह पर जा सकते हैं। घांघरिया से घाटी की दूरी मात्र 4 kms है। घाटी मे रुकने की इजाज़त नही है और उसी दिन वापस घांघरिया आना होता है।  इस जगह की सबसे खास बात जो मुझे लगी वो ये थी कि इस जगह पर आपको पॉलीथिन या और किसी भी तरह की कोई गंदगी कहीं नज़र नही आएगी। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस जगह पर गंदगी करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगता है ( वरना तो हिन्दुस्तानी पर्यटक का धर्म है गंदगी करना)। इस वजह से यहाँ सफाई देखकर दिल और भी खुश हो जाता हैं। शानदार हिमालय, खूबसूरत बुग्याल, नदी की धीमी मीठी आवाज़ और अदभुत नीला आसमान, सब एक ही जगह कौन नही देखना चाहेगा।